Wednesday, December 30, 2015

Rupayiye Ki Vyatha........Ek Katha

 खन खन खन खन करता जाऊ !
एक कहानी कहता ज़ाऊ !
सुनो सुनो सब कान लगा  के ..................

 मेरी एक पहचान  बनाके !
सबने बोली लगाईं है , मेरी शामत आई है !
दुनिया भर में होड़ लगी है !
किसके घर में फोर्ड ( कार) खडी है !
सारे नेता भाग रहे है !
जैसे कोई रेस लगी है !
एक दूजे में ही झगडा उनका कौन यहाँ धनवान बड़ा  है !
जनता दल का हाल बुरा है , हर घर में एक नारा है,
रसोई गैस की कीमत ने तो अपना तोडा ताला है !
डीसल  में मंहगाई है क्या सत्ता पगलाई है ?
अस्त  वयस्त यहाँ तंत्र हुआ है !
ऍफ़ डी ई जब से आई  है !
नया सवेरा आयेगा हर एक आँख  का सपना है !
चाहे तुम किसी हाल में देखो क्या कही कोई सवेरा है ?
मेरे मोटर बाईक में तो वही 100 का डाला है !
जो पहले डलवायी थी
Rupaiyr ki vyatha